"Jat mara tab janiye, jab tehravi ho jaye"("जाट मरा तब जानिए तब तेरहवीं हो जाए:")
No battle worth its name in the history of the entire world can forget the contribution of this clan called JAT. Coming back to the quote from an old saying or poem I started with, I tried finding references or source but couldn't find one. Maybe it lies in their very origin. Or this song/poem may re-instil the thought of Indian Bravehearts in the minds of the enemy that there is every possibility the Singh(LION) is alive and may rise, it's better to wait 13 days to ensure he is dead.
If I were to look back, everything connects to the beliefs or seeds of valour in the community waiting to emerge when the country needs them. My father served the Indian army with pride which makes me strong each day and this does not stop here, My in-laws have their third generation serving Indian Army. (highly decorated officers)
The recent loss of their youngest son in the line of duty did only bring a stronger resolve to send the next generation for serving the Nation.
Jats always stood the test of times like rock in the face of invaders seeking to ravage the motherland, Whenever the occasion arose they beat their plough(हल) into swords and lead the revolution.
Next time, while travelling through (North India) JATLAND as I call it, you may discover one or two stories/tales of your own. Or in a lighter vein may find simpleton laughing on jokes directed at them.
Some from my visit to native western UP or Harayana where senior citizens are referred to as "TAU".
Barber asked " Tau Bal Chote Kar Du?" gets a repartee " Badha Bhi Sake hai Ke"
(Can you also grow my hair, if not then cut them don't ask 😆 )
(Can you also grow my hair, if not then cut them don't ask 😆 )
Here is the entire poem that is referred to as Pehchan "IDENTITY"
पत्थर पड़े पानी में, लहर उसमें उठाये
आग बुझाने हवा चले, और उसे भड़काये
जाट मरा तब जानिये जब तेरहवीं हो जाये
विवेक को अपनी शक्ति बना, संयम को कर प्रबल
विराट स्थिति में रह, अपने उसूलों पर तू अडिग-अचल
जो डगमगा गया कर्मभूमि पर, इंसान वो क्या कहलायेगा
चलता रहा जो तूफानों में, बस वही तो मंजिल को पायेगा
संकट जिसकी शक्ति बने, आंधी ना जिसको हिलाये,
जाट मरा तब जानिये जब तेरहवीं हो जाये
जजबा, जोश, जुनून, जतन ये तो तेरी पहचान है
वो इंसान क्या जिसे अपने होने पर नहीं अभिमान है
चार दिन आगे चार दिन पीछे हर कोई मिट्टी में मिल जायेगा
चार दिन में जो कर गया कुछ, वो ही तो महान कहलायेगा
ना करें विचलित, मुश्किलें ना जिसको झुकाये
हार जिससे हार गई, सोचे थे बहुत उपाय
जाट मरा तब जानिये जब तेरहवीं हो जाये
आग बुझाने हवा चले, और उसे भड़काये
जाट मरा तब जानिये जब तेरहवीं हो जाये
विवेक को अपनी शक्ति बना, संयम को कर प्रबल
विराट स्थिति में रह, अपने उसूलों पर तू अडिग-अचल
जो डगमगा गया कर्मभूमि पर, इंसान वो क्या कहलायेगा
चलता रहा जो तूफानों में, बस वही तो मंजिल को पायेगा
संकट जिसकी शक्ति बने, आंधी ना जिसको हिलाये,
जाट मरा तब जानिये जब तेरहवीं हो जाये
जजबा, जोश, जुनून, जतन ये तो तेरी पहचान है
वो इंसान क्या जिसे अपने होने पर नहीं अभिमान है
चार दिन आगे चार दिन पीछे हर कोई मिट्टी में मिल जायेगा
चार दिन में जो कर गया कुछ, वो ही तो महान कहलायेगा
ना करें विचलित, मुश्किलें ना जिसको झुकाये
हार जिससे हार गई, सोचे थे बहुत उपाय
जाट मरा तब जानिये जब तेरहवीं हो जाये
👍🏻👌🏻
ReplyDeleteSuperb
ReplyDelete👍
ReplyDeleteSatya vachan
ReplyDeleteजाट बलवान जय भागवान
ReplyDeleteSuper
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